कयी सपने समेटे हैं बचपन से
कुछ पुरे करने की कोशिश की है,
तो कुछ हैं अधूरे से।
कयी सपने ऐसे जिन्हें किसी और की तलाश है
कयी सपनो में सब कुछ मेरे पास है।
कोशिशें बहुत की हैं हर सपने पर मैंने,
ज़िन्दगी जी है कई बार बेफिक्र मैंने।
हक़ीक़त लेकिन उन् कोशिशों को बयां नहीं करती
वो एक अलग ही कहानी सुनती है।
हक़ीक़त अक्सर सपनो की उस नींद से,
एक ठोकर मार कर जगाती है।
कयी सपने समेटे हैं बचपन से
कुछ पुरे करने की कोशिश की है,
तो कुछ हैं अधूरे से।